सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाई
भारत दिनांक 11 मई ( प्रतिनिधी)
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामले मे बडा फैसला सुनाते हुए कुछ बड़ी बाते कही
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह कानून (Sediton Law) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देशद्रोह कानून पर रोक लगा दी.
इससे पहले केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून पर रोक नहीं लगाने की अपील की थी और कहा कि पुलिस अधीक्षक (SP) या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी की मंजूरी के बिना राजद्रोह संबंधी धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी.
देशद्रोह के तहत दर्ज नहीं होगा कोई भी मामला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि जब तक केंद्र द्वारा कानून की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक देशद्रोह का कोई भी मामला दर्ज नहीं होगा. यह कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए में शामिल है. चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि जब तक केंद्र द्वारा देशद्रोह के प्रावधान की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक सरकारों को देशद्रोह के प्रावधान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
आज के सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं कानून: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भी कोर्ट की राय से सहमत है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के प्रावधान आज के सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें उम्मीद और भरोसा है कि केंद्र और राज्य सरकार धारा 124ए के तहत कोई केस नहीं करेंगे.
जिन पर पहले से केस दर्ज उनका क्या होगा?
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने आदेश सुनाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को कहा कि वो राजद्रोह कानून (Sediton Law) के तहत एफआईआर दर्ज करने से परहेज करें. जब तक सरकार इस कानून की समीक्षा नहीं कर लेती है, तब तक इस कानून का इस्तेमाल करना ठीक नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून फिलहाल निष्प्रभावी रहेगा. हालांकि जो लोग पहले से इसके तहत जेल में बंद हैं, वो राहत के लिए कोर्ट का रुख कर सकेंगे.