
रमज़ान गुनाहों के त्यागने ,आत्मचिंतन और सौहार्द्र का महिना
पवित्र माह रमजान का महीना आ ही गया है । इसका इस्तकबाल एक सुन्नत तरीका है। मजबूत इमान सेहत मूल्यांकन के जज्बे के साथ हमें इस महा में प्रवेश करना चाहिए । रमजान का टारगेट तवे को पाने से है हमें योजनाबद्ध तरीके से एक माह में तक वर्क कैसे पा सकते हैं इस पर योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए। तक़्वा की जिंदगी मेराजे अब्दियत कहलाती है। इस से तात्पर्य बंदा अल्लाह के सामने उदाहरण योग्य बंदा बन जाए । इससे बंदा सदाचारी और आज्ञाकारी बन जाता है। इस माह में हमारे घर नेकियों का गहवारा बन जाना चाहिए। किसी भी गुनाह से नेकियों में रुकावट नहीं आना चाहिए। इन विचारों को आन लाइन ‘इस्तक़्बाले रमज़ान’ पर जमाअ़त ए इस्लामी हिंद महाराष्ट्र के सेक्रेटरी ज़फ़र अंसारी ने इस्तक़बाले रमज़ान के स्वागत वर्कशॉप पर कहे ।यह कार्यक्रम जमाअत ए इस्लामी हिंद नागपुर वेस्ट के तत्वावधान में आयोजित हुआ था ।
तज़कीर बिल क़ुरआन पर प्रो. ख़्वाजा इज़हार अहमद ने सुरह बक़रा , आयत नं. 121 का अनुवाद करते हुए कहा कि “और हमने जिन्हें पुस्तक प्रदान की है और उसे वैसे पढ़ते हैं, जैसे पढ़ना चाहिये, वही उसपर ईमान रखते हैं और जो उसे नकारते हैं, वही क्षतिग्रस्तों में से हैं”। यह कुरआन जीवन व्यतीत करने का बेहतरीन माध्यम है। इसके नैतिक गुणों से हमारा जीवन आदर्शमय और नैतिकताओं से सुसज्जित समाज का निर्माण हो सकता है। कार्यक्रम में डॉ आसिफुज़्ज़मां ख़ान ने आभार प्रदर्शन और ख़ालिद परवेज़ ने संचालन किया।
दूसरी ओर उत्तर नागपूर महिला विभाग के आन लाइन ‘इस्तक़्बाले रमज़ान’ पर रुमाना कौसर ने दर्से हदीस के तहत कहा कि परस्पर सहयोग और सहानुभूति के साथ अपनी निजी जिंदगी में नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए मानव समाज की सेवा करना ही इस पवित्र माह का परम उद्देश्य है। हज़रत मुहम्मद स. ने फरमाया कि वास्तव में यही वह महिना है जो अपने पालनहार अल्लाह के साथ साथ एक-दूसरे से क़रीब करता है। इस माह में अपनी इच्छाओं को तिलांजलि देकर हमें दीन-दुखियों तक जीवनावश्यक वस्तुओं को पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए ।
नवेद नाज़नीन ने पवित्र क़ुरआन का संदेश देते हुए कहा कि रमज़ान में हर मुसलमान को रोज़ा रखना अनिवार्य है ताकि पापों और दुष्कर्मों से दूर रहा जा सके। इसी पवित्र माह में क़ुरआन अवतरित हुआ । उत्तर नागपूर महिला विभाग की अध्यक्ष ज़ोहरा खातून ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि रमज़ान प्रशिक्षण और आत्मचिंतन का महिना है । इस माह में की गई संपूर्ण उपासना व सेवा को भविष्य में भी सतत जारी रखना है ।