नागपूर

पार्टी में कमजोर पड़ रहे फडणवीस, गडकरी हो रहे और मजबूत

नागपुर दिनांक 25 नवंबर (विशेष प्रतिनिधि)

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले दिनों में महाराष्ट्र में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जिसके तहत विनोद तावड़े को राष्ट्रीय महासचिव के पद पर पदोन्नत किया गया है। चंद्रशेखर बावनकुले को नागपुर से विधान परिषद चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार नामित किया गया है।

राजनीतिक विश्लेषक इसे एक सुधार के रूप में देख रहे हैं जबकि एक वर्ग इसे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रभाव में कमी की और संकेत कर रहे है तावड़े और बावनकुले को 2019 के विधानसभा चुनावों में टिकट तक नहीं दिया गया था।

इसके साथ ही ये फडणवीस के लिए एक तरह का संकेत भी है कि पार्टी उनके प्रभाव को नियंत्रण में रखना चाहती है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के हाल के फैसलों से संकेत मिलता है कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में अपनी ही पार्टी में अकेले और कमजोर पड़ रहे हैं, जिन्हें एक समय महाराष्ट्र बीजेपी का नया चेहरा कहा जाता था, जो टेक-सेवी थे और अगली पीढ़ी के हिंदुत्ववादी नेता थे और जिनमें राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की क्षमता थी।

शिवसेना और भाजपा फिर से गठबंधन होगा इस बात की संभावना नहीं दिख रही है। जिसको लेकर पार्टी स्पष्ट है और इसके लिए उसे 105 से 145 विधायकों की दूरी यानी बहुमत के आंकड़े के सफर को खुद ही तय करना होगा। जिसके लिए पार्टी में पुराने और नए चेहरों की संगठनात्मक ताकत की जरूरत है।

परिषदीय चुनाव के लिए बावनकुले के नामांकन को विदर्भ में तेली समुदाय के बीच बीजेपी द्वारा अपनी पकड़ को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है, जब महाराष्ट्र और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि जातीय जनगणना के विरोधी की दिख रही है, साथ ही इसे फडणवीस के मुकाबले नितिन गडकरी को मजबूत करने के तौर पर भी देखा जा रहा है।

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