आज अहोई अष्टमी का व्रत,जाने शुभ मुहूर्त,पूजा विधि
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत विवाहित महिलाएं अपनी संतानों के सुखमय जीवन एवं हर विपदा से उनकी रक्षा के लिए करती हैं। इस व्रत को लोकभाषा में अहोई आठें या करकाष्टमी भी कहा जाता है।
अहोई का शाब्दिक अर्थ है-अनहोनी को होनी में बदलने वाली शुभ तिथि। इस जगत में अनहोनी या दुर्भाग्य को टालने वाली जगत जननी जगदम्बा देवी पार्वती हैं,इसलिए इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना अहोई माता के स्वरूप में की जाती है। आज के दिन माताएं अपनी संतानों के सुखमय जीवन के लिए अहोई माता से आशीर्वाद लेती हैं।
पूजा मुहूर्त
इस साल अहोई अष्टमी बहुत ही शुभ संयोग और मुहूर्त में मनाया जाएगा। 28 अक्तूबर को गुरु-पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है इसके अलावा इस दिन पर सर्वार्थसिद्धि योग भी है। ऐसे में अहोई अष्टमी पर शुभ मुहूर्त में पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा। 28 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी जो 29 अक्तूबर की दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 40 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि
: माताएं, महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं.
: अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाया जाता है.
: पूजा संध्या काल में की जाती है.
: पूजा के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखा जाता है.
: रोली-चावल से अहोई माता की पूजा करते हैं.
: अहोई माता को भोग लगाने के लिए महिलाएं दही, आटा, चीनी या गुड़ मिला कर मीठे पुए बनाती हैं. कहीं-कहीं आटे के हलवे का भी भोग लगाया जाता है.
: रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाया जाता है, लंगे सात टीके लगाए जाते हैं और फिर हाथों में गेहूं के सात दाने ले कर महिलाएं, माताएं अहोई व्रत कथा कहती या सुनती हैं.
: पूजा व व्रत कथा सुनने के बाद कलश के जल से तारों को अर्घ्य दिया जाता है.
: अहोई माता की विधिवत पूजा करने के बाद स्याहु माला धारण की जाती है. स्याहु की माला में चांदी की मोती और अहोई माता की लॉकेट होती है.
: पूजा के बाद महिलाएं बायना निकालती हैं और अपनी सास या पंडित को देकर आशीर्वाद लेती हैं.
: अंत में पारण किया जाता है.
राधाकुण्ड में स्नान
ऎसी मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुण्ड में स्नान करने से निःसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसी कारण अहोई अष्टमी की रात्रि में राधा कुण्ड के स्नान का विशेष महत्व है।