नागपूर

नए प्रस्तावित ई-काॅमर्स नियम लागू करने व ऐमजान के विरोध में एन.वी.वी.सी. ने जिल्हाधिकारी को दिया ज्ञापन

विदर्भ के 13 लाख व्यापारियों की संस्था नाग विदर्भ चेंबर आॅफ काॅमर्स के अध्यक्ष  अश्विन मेहाड़िया व पुर्व अध्यक्ष  बी.सी. भरतिया ने  प्रधानमंत्री के नाम नागपुर की जिल्हाधिकारी विमला आर. को ऐमजान के विरोध में हल्ला बोल ज्ञापन दिया।

अध्यक्ष  अश्विन मेहाड़िया ने कहा कि देश के ई कामर्स व्यापार में बड़ी विदेशी कम्पनियों द्वारा लगातार किए जा रहे देश के कानूनों का खुला उल्लंघन और गत तीन दिन में मीडिया में तेजी से फैल रही खबर कि “ऐमजान ने भारत में अपने वकीलों के जरिए सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दीं है” को एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) के आह्वान पर जिल्हाधिकारी को ज्ञापन देकर ई कामर्स बने नियमों को तुरंत लागू करने की माँग की गई तथा अधिकारियों को ऐमजान के वकीलों के जरिए दीं गई कथित रिश्वत के मामले की सीबीआई द्वारा किए जाने की माँग की गई।

ऐमजान के वकीलों के जरिये देश के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने वाले मुद्दे पर ऐमजान के वित्तीय दस्तावेज जो पिछले वर्षों में सरकारी विभागों को दिए गए हैं उनकी फोरेंसिक ऑडिट कराया जाए जिससे जल्द से जल्द यह पता लग सके की क्या ऐमजान के वकीलों के जरिए अधिकारियों एवं अन्य लोगों को रिश्वत दीं गई थी या नहीं और यदि रिश्वत देने का मामला साबित होता है तो ऐसे अधिकारियों एवं अन्य लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दीं जाए और उनके नाम भी सार्वजनिक किए जाएँ।

चेंबर के पुर्व अध्यक्ष व कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बी सी भरतिया कहा है की पिछले वर्षों में ऐमजान ने जिस प्रकार से देश के सभी कानूनों और नियमों का खुला उल्लंघन किया है और जिस बड़े पैमाने पर धांधली की है वो बेहद गम्भीर और संगीन मामला है , इस दृष्टि से अब यह जरूरी हो गया है की ऐमजान के व्यापार मॉडल की एक समग्र जाँच की जाए और सभी सम्बंधित विभाग एक साथ इसकी जाँच करे ।

इसके लिए उन्होंने माँग की है की इस हेतु आय कर विभाग, केंद्र एवं राज्यों के जींएसटी विभाग. सीसीआइ, प्रवर्तन निदेशालय, सेबी तथा मिनिस्ट्री ओफ कॉर्प्रोट अफ्फैर्स को एक साथ जाँच करनी चाहिए जिससे की सारा मामला साफ हो और फिर उस समग्र जाँच के हिसाब से कारवाई हो। उन्होंने कहा की सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ेगा की क्या विदेशी कम्पनियों को देश के कानून और नियमों के उल्लंघन की इजाजत दी जा सकती है या सरकार देश के नियम एवं कानूनों की सर्वोचता को कायम रखती है।

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