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मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- नहीं होगी जाति जनगणना

जाति जनगणना पर फिर से मोदी सरकार का रूख एकदम साफ़ हो गया है। वह इसके पक्ष में नहीं है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो टूक कह दिया है कि जाति जनगणना नहीं हो सकती है क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं है। सरकार ने कहा है कि जनगणना के दायरे से एससी-एसटी के अलावा किसी भी अन्य जाति की जानकारी जारी नहीं करना एक समझदारी वाला नीतिगत निर्णय है

 

सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। यह महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दायर किया गया। राज्य सरकार ने इसके निर्देश देने की मांग की थी कि 2021 की गणना में जनगणना विभाग को पिछड़े वर्ग के नागरिकों (बीसीसी) पर जानकारी एकत्र करने को कहा जाए। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार की मांग का विरोध किया। इसने अदालत को बताया कि ‘1951 से जनगणना में जाति-वार गणना नहीं करने को नीति के रूप में अपनाया गया है और इस प्रकार एससी व एसटी के अलावा अन्य जातियों को 1951 से आज तक किसी भी जनगणना में शामिल नहीं किया गया है।’

केंद्र सरकार ने इसके लिए एक तर्क यह भी दिया कि जनगणना कराने की तैयारी अंतिम चरण में है और अब मानदंड में कोई बदलाव संभव नहीं है। इसने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण पहले ही काफ़ी देरी हो चुकी है।

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